बादळ बण बरसूं

के करौ सिनांन

नदी बण बैवूं

करौ कै आचमन।

सूरज, चांदो बण चसूं मुसाल

अंधारो मेटण

थारी राह रौ।

पवन बण

ल्यावूं पुणचौ झाल

बैठावूं

अम्मर मांढै तळै।

फूलां मिस खिल

पोवूं हार

सूंपूं के-

म्हांनै थे स्वयंवर वरौ।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : सन्तोष मायामोहन ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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