कोई केवै अबकाळै काळ
गेरौ पड़्यौ
कोई केवै इण साळ पांणी भौत
बरस्यौ!
कोई केवै नाज रौ अेक दांणौ
कोनी व्हियौ
कोई केवै बखारियां में बिलांद
जगां कोनी बची
छापां में अै अंवळा-संवळा आखर
बांचनै
बावनियै भरतार री लुगाई कदै संकोच करै
कदै आपरै पेट नै ल्हकोवै
कदै आंतड़ियां नै अळगी मेलै
वीं नै कांई ग्यांन
कै नानी नित नुवां खसम करै
चौबारै चौपड़-पासा खेलै
नै वीं रौ डंड लांण दोयती झेलै।