म्हारै मांय सूं

व्हीर व्हैय

जावती वेळां

थूं जिण जायगा

म्हारी हिचकी सुण

निमखेक सारू ठिठक अर

लारै जोयौ हौ

वठै,

हां वठै

उणीज ठौड़ मारग धब दैणी रौ

लातर नै बिसांबौ खायग्यौ

मारग

जद अठी-वठी

धकै-लारै

नीं जाय सकै

तद

वौ व्है जठै इज गूंचळी मार

चोवटौ वणजा

इणीज गत वै सबद

जिका जलम लैय बधै

थारै मांय

म्हारै मांय

अर निकळै कोनीं

तौ मांय रा मांय

ढीम बण जम जायां करै

अै ढीम

पिघळे तौ खरी

पण रथी री आंच में

अर बैवता-बैवता

निकळै खरी

पण वांरौ रेलौ कदैई

नीं बणै मारग

एक मारग अेड़ौ व्है

जिकौ

नीं व्है थळ-मारग

जळ-मारग

अनळ-मारग

पण वौ व्है

अर जायां करै

सब भांत री आकसां भांगतौ

अदीठ

अवेग

अबोलौ

ओळूं री आंगळी अपड़

पगां-बायरौ पूगै

अजेज

ठैट बठै

ठीक जठै उणनै पूगणौ व्है

इज अेक थित है

जिणमें चाल'र मारग पूगै

अेक सूं दूजा लग

असल में मारग रै

मारग व्हैण रौ महातम है

इणीज कारणियै

सुपना मांय बड़ण री हंस राखै

मारग

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकासन, गोटीपा
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