साटिया री छोरी

घड़ी के ठैर

अर पडूत्तर दे

म्हारै खंकारै रो

थूं गैली अर गूंगी

नी थारै कनै सोळा सिणगार

नी बाजूबंद

तो नी बफरोळ

नी कैड़ोई नखरो

नी कैड़ोई पळको

थारो रूप

रोही रै मांय उगियोड़ै

लदपद बिरछ सो

थारो सुर

अधपकी इमली सो

थारी मुळक

कूंपळ रै ढाळै

थारी निजर

सुतोड़ा मिनखां नै जगावती

थारा डेरा

घणां लारै रैयग्या

साटिया री छोरी

नी थनै कीं डर

नी चिन्ता

नी लाजसरम

कांई छोरी

थूं अेकली है

अर नी है कोई थारै साथ

हवा रै माय कसमसावता

सैंकड़ू हाथ

छोरी थनै

म्हारै मूंडागै जावती देख'र

म्हैं म्हारै मन में सोचूं

डील री सोरम सूं

बत्तो दूजो

भोम रै माथै कांई हुय सकै है?

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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