अचरज है
के इण बस्ती रा लोग
हाल ई जीवै है!
जद के आं सगळां री मौत व्हैगी ही
मोरां में गोळ्यां लागण सू
अर आंरा नांव
‘ठंडै जुद्ध’ में मरणवाळां री
सूची में छप्योड़ा है।
म्है रोजीना तड़काऊ रा
इण बस्ती रै
सूखै, अंधारै, ऊंडै कुअँ मांय
उजास न्हाख’र देखूं के
रात रा कोई
इण बस्ती रै किंणी मुड़दै नै
इण में पटकग्यौ के नीं
जिणसूं म्है दूजी वार कर सकूं
उणारै मिरतु री घोसणा।
अचरज है, इत्ता दिनां में
इण सुभ-काम री सरुआत
कोई नीं करी
लागै के अबै म्हनै इज करणी पड़ैला
आ सरुआत,
बसणौ पड़ैला
आय’र आं मुड़दां बिचालै
इण सुभ-काम री सरुआत सारू।
आंरी छैली मिरतु री घोसणा सारू।
अल्मार्यां में बंद
आं री पोथ्यां नै
खायगी उदई
कदई भणी कोनीं,
वांरा पांना सूं
अ खुद री सिगरेटां सिळगाई।
आंरौ सगळौ बगत खूटगौ
इण आपस री झोड़ में
के मरवण रै घाघरै में सळ कित्ता?
के फलाणौ कद जलम्यौ?
फलाणौ मर्यौ कद?
के वौ कद
कठै
किणरौ
कांई हौ?
अ लड़ मर्या
मरथोड़ां री बातां सारू
जीवतां रौ जस गिटकाय’र।
कांई अबैई
आंरी छैली मिरतु री
घोसणा करणी पड़ैला!