तू क्यूं काची ल्यावै मरवण! महलां माणीगर आवै है!
पोळां में पौड़ां बाजै है!
जाणै अम्बरगढ़ गाजै है!
थारै मन-आंगणियै लजवण! रुत रास रचाणो चावै है!
तू मेघ-मल्हार उगेर, घणी दीपक-रागां तो गा लीनी!
जीवण री इण परकम्मा में, बिछुड़ण री टेर उठा लीनी!
बै रातां, जिकी बितायी तू, बातां कर चान्द’र तारां सूं!
सुध रा बिड़ला तो सींच लिया, आंसू री चळवळ-धारा सूं!
अब जोग संजोग-तणो आवै, पुरवा संदेस सुणावै है!
पोळां में पौड़ा बाजै है!
जाणै अम्बरगढ़ गाजै है!
थारै मन-आंगणियै लजवण! रुत रास रचाणो चावै है!
बै दिवस उदासी में बीत्या, मारग कानी जोतां-जोतां!
यादां रै तागै में तपसण! छिण रा मिणियां पोतां-पोतां!
अब छेलै अेक सुमेरू पर, वरदान बिराजै मिलणै रो!
बै देख बठीनै फुलड़ां नै, अैनाण लियां है खिलणै रो!
अब थारै रंगम्हैल में ई, मैकारां उड़ती आवै है!
पोळां में पौड़ा बाजै है!
जाणै अम्बरगढ़ गाजै है!
थारै मन-आंगणियै लजवण! रुत रास रचाणो चावै है!
सेजां पर नैण झुर्या जितरा, निजर्यां री आस निरास बणी!
कंठां में गीत घुट्या रैग्या, रागां रो लाध्यो नहीं धणी!
मन री वीणा रा तारां में, झिणकारां तड़पी, रोयी ही!
कुण जाणै! कद तू जागी ही, कुण जाणै! कद तू सोयी ही!
थारै मनमीत किसनजी री, मुरली बस, बाजी चावै है!
पोळां में पौड़ां बाजै है!
जाणै अम्बरगढ़ गाजै है!
थारै मन-आंगणियै लजवण! रुत रास रचाणो चावै है!
पूरब में आस-किरण ऊगै, सुरजी रो रथ भाज्यो आवै!
परभात सुभागी-सोनेली, नैणां में उगणो-ई चावै!
अब सांझ सुहागण बण जासी, रूपंती रात निखर जासी!
तारां रै बदळै प्यार-भरी बातां भरपूर बिखर जासी!
थारी-म्हारी सांसा रा सुर, संगीत सिरजणो चावै है!
पोळां में पोड़ा बाजै है!
जाणै अम्बरगढ़ गाजै है!
थारै मन-आंगणियै लजवण! रुत रास रचाणो चावै है!