अन्तस री पीड़ा रो कोई, गीत बणा, मैं गावूं!
मरवण! थारा नैण, कियां आलागीला हो आवै?
झलमल आंसूं क्यूं बरसावै?
अन्तस सूं अन्तस रो कोई, के नेड़ै रो नातो!
जिको गीत में आंसू घोळै, मन रो भाव रळातो!
का थारी मन-पीड़, म्हारला मन-गीतां री हेली!
किस्यै जलम री बात, बता दै, आ गीतां संग खेली!
मैं तो म्हारै पुरबजलम नै आछी तरै पिछाणूं!
थारै भी, के पुरबजलम नैणां में उमड़्यो आवै!
मरवण! थारा नैण, कियां आलागीला हो आवै?
झलमल आंसूं क्यूं बरसावै?
भाव-भर्यो मैं भेद उघाडूं, भाव-भर्या अै उमड़ै!
ज्यूं असाढ़ रा पैलम्पैला बादळ घिर-घिर घुमड़ै!
अेकमेक हो जावै आभो, घुट-घुट छिण-छिण गरजै!
पल-पल पीड़ा-दामण दमकै, किणविध कोई बरजै!
मैं भूल्यो अणजाण्यै में, के मेघ-मल्हार सुणावूं?
स्यात् जणा ई नैण थारला, बादळिया बण जावै!
मरवण! थारा नैण, कियां आलागीला हो आवै!
झलमल आंसूं क्यूं बरसावै?
बोल! गीतड़ा गावूं? का मैं अणबोल्यो बण जावूं?
भीज्या-नैण देखनै थारा, किणविध थिर रह पावूं!
आंसूड़ां सूं पाप धुपै तो गावूं, धरम उजाळूं!
गीतां रो बावळियो बण मैं, पल-पल गीत उगाळूं!
मैं गीतां नै सिरजण रो सत्, सांस-सांस में पावूं!
गीत, भगीरथ बण थारा नैणां में गंगा ल्यावै!
मरवण! थारा नैण, कियां आलागीला हो आवै?
झलमल आंसू क्यूं बरसावै?
अणबोली! उथळो दै। धीरज तूटै, तार मिलावूं!
जलमान्तर रो बिछड़्यै पिव मैं, संजोगी बण जावूं!
गीतेरण, जे तू बण जावै, संजोगण बण जासी!
मिलण-तणी वेळा तो म्हारा गीतां री है दासी!
पल-पल रै नैनकियै पल मैं, गीत बणातो जावूं!
छिण-छिण रै छोटकियै छिण ई, जे तू साथ निभावै!
मरवण! थारा नैण, कियां आलागीला हो आवै?
झलमल आंसू क्यूं बरसावै?