Anjas

डिंगल गीत

राजस्थान रै मांय डिंगल गीतां में वीर, भगती अर सिणगार रस री प्रधानता हुवै। डिंगल गीत रै हरेक दुहाला मांय क्रम सूं 16,15 मात्रावां अर अंत में गुरु-लघु री तुकांत हुवै। पेलै चरण मांय दो मात्रावां बढ़ै। इणां रा हरेक दुहाला रा विषम चरणां में तो 16 मात्रावां पण सम चरणां में लगोलग अेक-अेक मात्रा कम हुवती जावै। राजस्थानी डिंगल गीतां रा अलेखु भेद हुवै। डिंगल रा खास लक्षण ग्रंथ 'रघुनाथ रूपक गीतां रो' में 72 अर 'रघुवरजस प्रकास' में इणां रा 99 भेद बताईज्योड़ा है। ओ डिंगल में सगळा सूं प्यारो छंद है।

आशानंद बारहठ

आशानंद बारहठ

जोधपुर शासक राव मालदेव रा समकालीन अर राज आश्रित कवि। प्राकृत, संस्कृत अर डिंगल रा ज्ञाता। 'उमादे भटियाणी रा कवित्त' अर 'बाघजी रा दूहा' जैड़ी ठावकी रचनावां खातर चावा।

उदयकरण सांदू

उदयकरण सांदू

सोलहवीं सदी रै सिरै कवियां में शुमार। गिरि-सुमेल रै जुद्ध में राव मालदेव कानी सूं लड़तां थका काम आया। फुटकर डिंगल गीत मिळै।

ओपा आढा

ओपा आढा

1774 -1843

उत्तर मध्यकाल रा ऊंचै दरजे रा भगत कवि। ईश वंदना रै साथै जीवण मीमांसा अर दार्शनिक भाव रा डिंगल गीतां खातर चावा।

कुंभकरण सांदू

कुंभकरण सांदू

1640

संस्कृत, फारसी, अरबी, पंजाबी अर डिंगल-पिंगल रा नांमी जाणकार कवि। 'रतन रासौ' अर 'राजसमंद रूपक' नांव रै चावै ग्रंथां रा सिरजक।

करणीदान कविया

करणीदान कविया

जोधपुर महाराजा अभयसिंह जी रा प्रमुख दरबारी कवि। 'सूरज प्रकास' नांव री महताऊ रचना रा रचनाकार।

केसोदास गाडण

केसोदास गाडण

1553 -1644

जोधपुर नरेश गजसिंह जी रा किरपा पात्र कवि। 'गजगुण रूपक-बंध' अर 'निसांणी विवेक वारता' नांव री महताऊ रचनावां।

कान्होजी बारहठ

कान्होजी बारहठ

1443 -1523

जांभाणी साहित्य परंपरा रा प्रमुख कवि। भगती अर नीति सूं संबंधित पदों रा रचैता।

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

1970

सिरैनांव कवि-संपादक। डिंगल रै सिरमौर अर अलक्षित कवियां माथै विशेष काम।

चतुर्भुज बारहठ

चतुर्भुज बारहठ

भगति-रस रा मर्मस्पर्शी डिंगल गीतां रा रचैता।

चैनकर्ण सांदू

चैनकर्ण सांदू

1768

मध्यकाल रा अज्ञात कवि।

जाडा मेहडू

जाडा मेहडू

मूल नांव आसकरण या महकरण हो पण डील में भारी होवण रै कारण जाडा नांव सूं परसिध।

ठाकुर गुमानसिंह

ठाकुर गुमानसिंह

1840 -1914

मेवाड़ रा सिरै भगत कवि अर योग साधक। भगती, मीमांसा, योगसार आद रा छंद, पद अर कवित्त खातर चावा।

डूंगरसी रतनू

डूंगरसी रतनू

सतरवीं सदी रा डिंगल कवि। जलम भौम अर समै विषयक जाणकारी रो अभाव। फुटकर डिंगल गीतां खातर चावा।

तिहणराव रतनू

तिहणराव रतनू

पंदरहवैं सईकै रा कवि। कविता री भासा प्रवाहमय अर सुघड़।

दयालदास सिंढायच

दयालदास सिंढायच

1798 -1891

बीकानेर राज्य सूं सम्बंधित इतिहास ग्रन्थ 'दयालदास री ख्यात' रा रचैता।

नरहरिदास बारहठ

नरहरिदास बारहठ

1591 -1676

जोधपुर नरेश गजसिंह जी रा समकालीन अर आश्रित कवि। पिंगल में 'अवतार चरित्र' नांव रै घण चावै ग्रंथ री रचना, जिय में चौबीस अवतारां रो विगत वार वरणाव।

पीरदान लालस

पीरदान लालस

18 वीं सदी रा चावा भगत कवि, सगुण अर निरगुण दोनूं धारवां में समान रूप सूं काव्य सिरजण। ईसरदास जी बारहठ ने प्रेरणास्रोत मानता।

बुधजी आशिया

बुधजी आशिया

1784 -1863

डिंगल- पिंगल रा प्रकाण्ड पण्डित अर जगत कवि री उपाधि सूं विभूषित। 'दरजी मयाराम री बात' जैड़ी उच्च कोटि री रचना रा रचनाकार।

बना बारहठ

बना बारहठ

मध्यकालीन चारण कवि। विसर काव्य रा फुटकर डिंगल गीत रचिया।

बांकीदास आशिया

बांकीदास आशिया

1771 -1833

मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि अर राष्ट्रीय चेतना परक गीत लिखण वाळा पैला कवि। वीर, शृंगार, नीति, भक्ति आद सगळी धारावां में समान रूप सूं सृजन करियो।

बोहड़ बीठू

बोहड़ बीठू

बीकानेर रै साठीका गाँव में जलम। मध्यकाल रा डिंगल कवि।

मंसाराम सेवग

मंसाराम सेवग

1770 -1840

डिंगल रा घण महताऊ रीति ग्रंथ 'रघुनाथ रूपक' रा सिरजक रै रूप में चावा।

मेहा बीठू

मेहा बीठू

मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि। शक्ति काव्य सूं सम्बंधित रचनाकारां में चावो नांव।

मोहन सिंह रतनू

मोहन सिंह रतनू

चावा कवि। डिंगल काव्य में लगोलग लेखन।

वीरदास बीठू

वीरदास बीठू

'रंगरेलो बीठू' रै नांव सूं चावा। आपरी रचनावां में धाट अर जैसाणा छैतर री अबखायां ने उकेरी।

सुरजनदास पूनिया

सुरजनदास पूनिया

1583 -1691

'विश्नोई संप्रदाय' रा आगली पांत रा संत कवि। आपरी गहरी भगती साधना अर शास्त्र ज्ञान सूं राजस्थानी साहित्य ने हरियल करियो। रचनावां में मध्यकाल री ठेठ राजस्थानी भाषा री बानगी।

हुकमीचंद खिड़िया

हुकमीचंद खिड़िया

कम चर्चित डिंगल कवि।

हूंफा सांदू

हूंफा सांदू

पंदरवी सदी रा डिंगल गीतकार। जलम मेवाड़ में पण कर्मभूमि मारवाड़ अर माड़। घणकरी रचनांवा अणछपी।