Anjas

डिंगल गीत

राजस्थान रै मांय डिंगल गीतां में वीर, भगती अर सिणगार रस री प्रधानता हुवै। डिंगल गीत रै हरेक दुहाला मांय क्रम सूं 16,15 मात्रावां अर अंत में गुरु-लघु री तुकांत हुवै। पेलै चरण मांय दो मात्रावां बढ़ै। इणां रा हरेक दुहाला रा विषम चरणां में तो 16 मात्रावां पण सम चरणां में लगोलग अेक-अेक मात्रा कम हुवती जावै। राजस्थानी डिंगल गीतां रा अलेखु भेद हुवै। डिंगल रा खास लक्षण ग्रंथ 'रघुनाथ रूपक गीतां रो' में 72 अर 'रघुवरजस प्रकास' में इणां रा 99 भेद बताईज्योड़ा है। ओ डिंगल में सगळा सूं प्यारो छंद है।

डूंगरसी रतनू

डूंगरसी रतनू

सतरवीं सदी रा डिंगल कवि। जलम भौम अर समै विषयक जाणकारी रो अभाव। फुटकर डिंगल गीतां खातर चावा।

दयालदास सिंढायच

दयालदास सिंढायच

1798 -1891

बीकानेर राज्य सूं सम्बंधित इतिहास ग्रन्थ 'दयालदास री ख्यात' रा रचैता।