Anjas

डिंगल गीत

राजस्थान रै मांय डिंगल गीतां में वीर, भगती अर सिणगार रस री प्रधानता हुवै। डिंगल गीत रै हरेक दुहाला मांय क्रम सूं 16,15 मात्रावां अर अंत में गुरु-लघु री तुकांत हुवै। पेलै चरण मांय दो मात्रावां बढ़ै। इणां रा हरेक दुहाला रा विषम चरणां में तो 16 मात्रावां पण सम चरणां में लगोलग अेक-अेक मात्रा कम हुवती जावै। राजस्थानी डिंगल गीतां रा अलेखु भेद हुवै। डिंगल रा खास लक्षण ग्रंथ 'रघुनाथ रूपक गीतां रो' में 72 अर 'रघुवरजस प्रकास' में इणां रा 99 भेद बताईज्योड़ा है। ओ डिंगल में सगळा सूं प्यारो छंद है।

मंसाराम सेवग

मंसाराम सेवग

1770 -1840

डिंगल रा घण महताऊ रीति ग्रंथ 'रघुनाथ रूपक' रा सिरजक रै रूप में चावा।

मेहा बीठू

मेहा बीठू

मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि। शक्ति काव्य सूं सम्बंधित रचनाकारां में चावो नांव।

मोहन सिंह रतनू

मोहन सिंह रतनू

चावा कवि। डिंगल काव्य में लगोलग लेखन।