ओपा आढा 1774-1843 Marwar उत्तर मध्यकाल रा ऊंचै दरजे रा भगत कवि। ईश वंदना रै साथै जीवण मीमांसा अर दार्शनिक भाव रा डिंगल गीतां खातर चावा।
कर जांणौ तौ कोई भलाई कीजौ माटी रौ ठांम जोत तिण मांहै मन जांणै चढूं हाथियां माथै मानव कांई घाट घड़ै मन मांही म्हैं हूं कसा बाग री मूळी मूठी जेतलौ जमारौ नरां पहलां आंगळी गह गाबड़ पकड़ै तन अरठ अनोखौ रचियौ त्रीकम वदै जनैता मो पूत