गाँव पर गीत

महात्मा गांधी ने कहा

था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में कविता के लिए गाँव एक नॉस्टेल्जिया की तरह उभरता है जिसने अब भी हमारे सुकून की उन चीज़ों को सहेज रखा है जिन्हें हम खोते जा रहे हैं।

गीत11

सीखड़ली

कानदान ‘कल्पित’

गांव, गळी, चौबारा

धनराज दाधीच

लगन मंय भुआ

आभा मेहता 'उर्मिल'

थारी मनमां आवै गाँव

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

रूपाळो गांव

भूरसिंह मीणा

ऊनाळौ

उपेन्द्र अणु

मत जाओ जी शहर में

रघुवीर प्रजापति

आयो रितुराज

शिव पांडे

मास बरसालो आयो रे

कानदान ‘कल्पित’