गाँव पर दूहा

महात्मा गांधी ने कहा

था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में कविता के लिए गाँव एक नॉस्टेल्जिया की तरह उभरता है जिसने अब भी हमारे सुकून की उन चीज़ों को सहेज रखा है जिन्हें हम खोते जा रहे हैं।

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दोहा : गाँव

जयसिंह आशावत

फागण राच्यो फोगला

भागीरथसिंह भाग्य

लोग न जाणै कायदा

भागीरथसिंह भाग्य

जोगी आयो गाँव सूं

भागीरथसिंह भाग्य

आ जोगी बंतळ करां

भागीरथसिंह भाग्य

बेली तरसै गाँव मँ

भागीरथसिंह भाग्य

सांझ ढळ्यां नित गाँव री

भागीरथसिंह भाग्य

दरद-दिसावर - दूहा

भागीरथसिंह भाग्य

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

बैठ भलाई डागळै

भागीरथसिंह भाग्य