हँसी पर कवितावां

हँसी एक भौतिक प्रतिक्रिया

है जो किसी आंतरिक या बाह्य उद्दीपन की अनुक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इसे आनंद, ख़ुशी, राहत, सुख जैसी सकारात्मक भावावेश की श्रवण-योग्य अभिव्यक्ति माना जाता है। कई बार वह विलोम परिदृश्यों, जैसे : शर्मिंदगी, भ्रम या आश्चर्य की दशा में भी एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इस चयन में हँसी विषय पर अभिव्यक्त उत्कृष्ट कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता15

आतम भूख

मालचंद तिवाड़ी

प्रीत पराई,पीठ पराई

मनीषा आर्य सोनी

आपरी मुळक

जनकराज पारीक

थूं जद

सुरेन्द्र सुन्दरम

मुळक

प्रियंका भारद्वाज

निरखतौ रैयो

गौरी शंकर निम्मीवाल

आज बा

गौरी शंकर निम्मीवाल

प्रेम की दो कूंपळां

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

डरपै अंधारो

रवि पुरोहित

जै पद्मा

गौरीशंकर 'कमलेश'

हांसी

अनिल अबूझ

थारो नाम

रेवंत दान बारहठ

हांसी अर हाहाकार

जनकराज पारीक

बस्ती

मदन गोपाल लढ़ा

घणा दिन हुया

यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र