आमण-दूमणी लुगाई री मुळक!

भोळावण में लाग्योड़ी छेणी है

पत्थर माथै

जिकी देवै बे'म

मूरत होण रो।

स्रोत
  • सिरजक : प्रियंका भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै