सुख पर गीत

आनंद, अनुकूलता, प्रसन्नता,

शांति आदि की अनुभूति को सुख कहा जाता है। मनुष्य का आंतरिक और बाह्य संसार उसके सुख-दुख का निमित्त बनता है। प्रत्येक मनुष्य अपने अंदर सुख की नैसर्गिक कामना करता है और दुख और पीड़ा से मुक्ति चाहता है। बुद्ध ने दुख को सत्य और सुख को आभास या प्रतीति भर कहा था। इस चयन में सुख को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत9

बसंत रो गीत

त्रिलोक गोयल

दुख-सुख

किशोर कल्पनाकान्त

पातळ ताई पीथळ हो

ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर'

फाग गीत

महेश देव भट्ट

रंगीली बरसात

किशन लाल वर्मा

बादळी

रामनिवास सोनी

रंगीलो राजस्थान

सोनी सांवरमल