किण विध उतरां पार, दुख रूपी दरियाव सूं।

एक हि सुण्यो अधार, चारभुजा रो, चकरिया॥

भावार्थ:- हे चकरिया, इस (संसार के) दुख रूपी सागर से किस प्रकार पार उतरा जाए? (ऐसे भीषण संकट के समय) चतुर्भुजधारी भगवान विष्णु ही एकमात्र आधार हैं—ऐसा सुना है।

स्रोत
  • पोथी : चकरिये की चहक ,
  • सिरजक : साह मोहनराज ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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