वाजिद
पठान जाति सूं संबंधित। शिकार करतै टैम हिरदै परिवर्तन होयो अर सन्यास लेय'र दादू रा शिष्य बन गिया। लगभग 16 ग्रंथां री रचना करी, घणकारा पद दया अर उदारता रै भाव रा।
पठान जाति सूं संबंधित। शिकार करतै टैम हिरदै परिवर्तन होयो अर सन्यास लेय'र दादू रा शिष्य बन गिया। लगभग 16 ग्रंथां री रचना करी, घणकारा पद दया अर उदारता रै भाव रा।
आवेंगे किहि काम पराई पौर के
चटक चांदणी रात बिछाया ढोलिया
दो दो दीपक जोय सु मंदिर पोढ़ते
एक राम को नाम लिजिये नित्त रे
हरिजन बैठा होय तहां चल जाइये
कहा करे उपदेश अज्ञानी जीव कूं
कहियो जाय सलाम हमारी रांम कूं
कारीगर कर्तार क हून्दर हद किया
मोर करत अति सोर चमकि रही बिजरी
पाहन पढ़ गई रेख रातदिन धोवहीं
राम नाम की लूट फबी है जीव कूं
साधां सेती नेह लगे तो लाइये
सूर कमल वाजिंद न सुपने मेल है