चावा कवि-गीतकार।
असी काईं खेती बाड़ी
डूंगराँ पै बादळ्याँ
थारी मनमां आवै गाँव
नैणा सूँ हेला
बीत्या जावै साल
जे सोयाबीन जम जावै, तो मांडो आज गड़ जावै