महेंद्रसिंह छायण जलम: 1994 jodhpur नूवी पीढ़ी रा कवि। 'इण धरती रै ऊजळ आंगण' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य अकादमी रौ युवा पुरस्कार।
अगन ज्यूं निकळी कविता अंतै धैजो धार हे मरुथळ री मनमोवणी मूरत! इण धरती रै ऊजळ आंगण जठै अजै तक झरड़ो! पाबू सूं ई करड़ो जोगण! जगदंबा! जग-जाहर म्हारा मीत..! मायड़ मीरां! मन बस्यौड़ो मोहन म्हारा सपना मिनखजात रा उणियारा नासेटू री जूंण-जातरा पदमणी प्रणधारी पाबू रंग विहूणौ सदी रौ सांच सांझ-सुंदरी