मीठै-हेत रा सपना

सदा सहेजै

सदा अंवेरै

हिवड़ै मांय

लियोड़ा अणहद

रंग अणूंता घण सतरंगां

टाबर नै खोळै में लेय'र

लाडां-कोड़ां

हरख तणै उर

निरमळ नेह री

नद छळकावै

वा मायड़

दरियादिल मोटी

सुख-दुख री सहभागण साची

अंतस मांय हेत री छौळां

विपद बखत में मीठी-मधरी

मीठै सुरां लैरियां गावै

वा मायड़

आफत री आंधी

कितरी झालै

कितरी भोगै

कितरा तूफां सूं अड़ जावै

पण, लाडेसर रै सपनां नै

फैर पाछा लाख जतन कर

नीं तूटण दै

हूंस हियै री

नीं हारण दै

तकलीफां सूं

घोर अंधारी रातड़ल्यां में

घणै जतन सूं पाछी मांडै।

स्रोत
  • पोथी : मायड़ ,
  • सिरजक : महेन्द्रसिंह 'छायण' ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा
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