चावी कवयित्री-लेखिका।
ओळयूँ रो सूरज
माँ
आथड़तो अंतर
गम रैयो है गांव
बिंदास
मायड़ बोली मीठी लागै
घोर अंधारो च्यारां कानीं
नैणा रा ए घाट भंवर जी
मिनख जमारो खोटो भाई
आड़ा टेड़ा बोल,लागे बरछी तीर ज्यूं
लावा लेवे आँधियाँ
दूहा