आड़ा टेड़ा बोल,लागे बरछी तीर ज्यूं।

छाती देवे छोल,लागे जिण-जिण काळजै॥

धोयो लाखूं बार, मद माया रो मैलड़ो।

रेग्यो ढेठौ गार, काया री इण कांबळी॥

पीपळ-बड़ री छांव, मेळा कजरी तीज रा।

छूट गयो रे गांव, ओळ्यूं रेगी टेम री॥

ओज्यूं लीला छेर,ओळ्यूं थारा रूंखड़ा।

लूमे च्यारूं मेर,देवे मन ने छांवड़ी॥

दौड़े खोल कपाट,जदे अमूज़े जीवड़ो।

रोक सके लाट, जावण री जद तैवड़े॥

आड़ा टेड़ा बोल,लागै बरछी तीर ज्यूं।

छाती दैवे छोल,लागे जिण-जिण काळजै॥

कर-कर कौजा काम,करणी बांधे मानखो।

लेखा राखे राम,ऊपर सूं बो झांकतो॥

ललचावे है जीव,मेंदी आछी राचणी।

रीझे रात्यूं पीव,लख गौरी गणगौर सी॥

स्रोत
  • सिरजक : आशा पांडेय ओझा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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