अजमेर रा रचनाकार
कुल: 14
कुल: 14
किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण 'भागवत' रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।
सिरैनांव कवि-उल्थाकार अर संपादक। पदमश्री अर साहित्य अकादमी रै सिरै पुरस्कार सूं सम्मानित।
जोधपुर नरेश गजसिंह जी रा समकालीन अर आश्रित कवि। पिंगल में 'अवतार चरित्र' नांव रै घण चावै ग्रंथ री रचना, जिय में चौबीस अवतारां रो विगत वार वरणाव।
किशनगढ़ री राजकुंवरी अर चावा भगत कवि नागरीदास री बहन। कविता रा संस्कार बापौती में मिळ्या। कविताओं में भगती री प्रधानता। वीर रस रा पद भी मिळे।
डिंगल, पिंगल, संस्कृत रा प्रकाण्ड पंडित अर वेदान्त रा प्रखर जाणकार। 'पाण्डव यशेंदु चन्द्रिका' नांव री चावी रचना जो कि राजस्थानी महाभारत कहिजै।