तौ वै बोलाबोला उण माथै काटक पड़्या

अर उणनै खींच’र लेयगा;

वांरी साजस इत्ती सांगोपांग ही कै

सरकार धौळै दोफारां जिण नेमां अर व्यवस्था रा पौरेदारां

रै हाथां उणनै सूंप्यौ हौ

वांनै ठा तक नीं पड़ी

अर वै लोग भै सूं भांगीजता

उण खिल्लर बिल्लर व्हियोड़ी ल्हास नै देखी

तौ बस इत्तौई कैय सक्या—“हत्यारा कांईठा कुण हा?”

तौ इण भांत म्हारौ मुलक

बोलोबोलो खिंटीज्यां जावै है

मिनखाऊ मोलां री मौत खांनी

हित्या खांनी

हित्या ढोल बजा’र तुरी बजा’र नीं

कीं अँधरै में कीं चांनणै में

ओलै छांनै करीजै

पण जद ल्हास सामीं आवैली

तद इतियास नीं कैय सकैली कै

“हित्यारा कांईठा कुण हा?”

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : लेस्ली पिंकनी हिल ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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