गंगा री लहरां रा पहरादारो रे
जमना री धरती रा सिंघ दहाड़ो रे
दुसमण चढ़ आयो है उठ ललकारो रे
आज हिमाळै री चोटी पर दुसमी आंख लगाई है
आज बरफ री सरद सिला पर चीनी आग लगाई है
आज सिंघ नै देय चुणौती गादड़ फोज चढ़ाई है
आज नाग री मणियां खातर ऊंदर ताक लगाई है
जाग भीम कर दे बैरी को गारी रे
उठ अर्जुन अब कर गांडिव टंकारो रे
दुसमण चढ़ आयो है उठ ललकारो रे
आज भाखरां सूं सींच्योड़ा खेतां री रखवाळ करौ
माथै सूं मूंगा कसमीरी फूलां री प्रतिपाल करौ
चितरञ्जन री चाल बधाऔ दुर्गापुर खुशहाल करौ
भरत देस री शान बधाऔ दुसमण नै पामाल करौ
चंबल री चांदी सूं खेत संवारौ रे
कांधै धरौ बन्दूक गोळि्यां मारौ रे
दुसमण चढ़ आयो है उठ ललकारौ रे
बैनड़ री बांधी राखी री थांनै आंण निभाणी है
वीर माता रा वीर दूध री कीमत पूरी चुकाणी है
हळ्दी घाटी में जूंझ्यौड़ी तलवारां में पाणी है
महाभारत सूं रंगी भोम पर गीता नै दोहराणी है
उठो कृष्ण थे पांचजन्य फुंकारौ रे
सजो सूरमा अब केसरिया धारौ रे
दुसमण चढ़ आयो है उठ ललकारौ रे।