अपमान रो जै'र पीवणो पड़ै

तो भी पी लो

आंसूं रा घूंट पीवणा पड़ै

तो पी लो

अर जी लो

पण हारो मत

मत डूबो

खुद भी तिरो

अर दूजां नै भी तारो

याद राखो

प्रेमरत क्रौंच रो वध हुयो तो

फैरूं रची जासी रामायण

ओट में ऊभा वाल्मिकी रा

होठां सूं

रामायण…

जिणमें लेवणो पड़सी अवतार

और अेक बार

किणी राम नै

अग्नि-परीक्षा देवती सीता नै

राजतिलक री आस में

वन-गमन होवसी

राम…

सीता ने लावसी

पण

उणरै पैलां जरूर होसी

किणी लंका रो दहन

जिणमें वध होसी

रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद रो

अहंकार, लोभ, अभिमान रो

फेर

इमरत में बदळसी

अपमान रो जै'र,

आंसू रा घूंट पै

खुसी रा फूलड़ा बरससी

च्यारूं खूंट

जै-जैकार होसी

समै नै समझो

अवसर नै पिछाणो

समै री डोर नै

आज ढीली छोड़ दो

कालै जोर सूं ताणो।

स्रोत
  • पोथी : पखेरू नापे आकास ,
  • सिरजक : इन्द्र प्रकांश श्रीमाली ,
  • प्रकाशक : अंकुर प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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