कित्तौ बेबस
अर खाली हाथ व्है जावूं
थांरी उदास आंख्यां रै सांम्ही
आवतां ई म्हैं
आंख्यां-जिकी सई सिंझ्या
गिरद चढियोड़ै आभै में ज्यूं
पसरियोड़ी रैवे कोसां लग भावहीण
निस्चै ई नीं भर सकूं
थांरा बरत्योड़ा सबदां अर संकेतां सूं
आं सूकी तळायां मांय नवौ विस्वास
सुख-सांयत रौ नैहचौ
हीयै में हरख हिबोळा खावतौ-
जांणै क्यूं सुर तूट जावण पछै
अकारथ व्है जावै
साज रा सगळा उतार-चढाव
कुण-सा संकेतां
अर सबदां में समझावूं
जीवण-सार-
जिकौ थांरी
परख्योड़ी आखी ऊमर
अर अणभव रौ अरक पीयोड़ी
आंख्यां सांम्ही आवतां ई
व्है जावै साव अबोलौ
अणबूझ-
स्यात् इणी अरथ में
खोज है म्हारी कविता
वां नवा विस्वासू
सबद-आखरां री
जिका थारी आंख्यां रै सांम्ही
ऊभ सकै अणभै।