थै म्हांनै जक को लेवण दो नीं

थै जाणो हो—

जै म्है अराम सूं रैवण लागग्या तो

थांरी नीन्द हराम हुय जावै ला!

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन