सूरज ऊगो

भोर हुयी

मस्त गगन में छायो

सगळां रै मन में भायो

छिटकण लाग्यो अंधारो

नभ में उजाळो छायो

चिड़कल्यां चीं-ची कीन्ही

कूकड़ियो कुकड़ू-कू

बांग दीन्ही

भानु रै स्वागत में

गीत गाया।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : गजेन्द्र कंवर चम्पावत ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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