इळा री परकमा

करियां पछै

जबर थाकग्यौ हौ

सूरज...

पण

समंदर मांय

उतरण सूं पैलां

खितंग रै

भरणाटै चढियोड़ौ

सम री टूंक ऊभा

म्हां सेलांणियां रै

मनां नै मोदावतौ

खासी ताळ तांई

गुड़कतौ दीसतौ रैयौ हौ

धोरां री ढाळ!

किणी मंजियोड़ै

कळावंत री जात

करतब बतावतौ

जांणै

दो थौबलियां रै बिचाळै

तणियोड़ी भरत माथै

नाचतौ व्है नट!

भळहळतौ भांण

नाचतौ रह्यौ हौ निरी ताळ

गोळ-गोळ घूमतौ

आग रौ गोळौ बणियौ

दो बादळियां रै बिचाळै

आभै मांय

लुकमीचणी रै खेल

म्हां सेलांणियां नै रीझावतौ...

इतरौ नीं

आथमण सूं पैलां

गळगळौ व्हैय

भोळावण देवतौ म्हांनै कै

जद कदैई सज जावै संजोग

थांनै मिळ जावै पोहळाई

अवस पधारजौ

सम वाळै

म्हारै इण मरुधर देस।

स्रोत
  • पोथी : मुगती ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • प्रकाशक : मरुवाणी प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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