कोसीस तौ करी

कै अेक हाथ लील में

दूजौ कसूंबै में राखूं

मरजी अडांणे धरने

मरजाद री रिछ्या करूं

पण ज्यूं काच री भठ्ठी

मांय मांय धवै

मन सिलगतौ रयौ घड़ी-घड़ी

नै म्हैं थांरे जेवड़ा में नीं

बंध सक्यौ

खम्मा अंदाता, घणी खम्मां!

नंदी में कूद'र कोई

सूकौ कीकर रै ज्यावै?

म्हैं नंदी रा नेम-धरम

समझ सक्यौ

नीं पग पाछा दिया।

डूबतौ गियौ

डूबतो गियौ मझ में

अर तळी ताई पूगर जाण्यौ

कै डूबणौ कांई चीज है

खम्मा स्यांणा, घणी खम्मां

म्हैं थारा दियोड़ा तिरण-फिरण रै

गुरां माथै भरोसौ नी कर सक्यौ!

थे म्हानै सूंप्यौ

अेक डूंगर

अेक माळियौ

अेक लाख पसाव रौ भरम

अेक डिंगळ रौ भाठौ

नै कविता रौ काचौ घड़ो

खम्मां कविराजा, घणी खम्मां

म्हैं थारै होदै नै गुमांन री

जगां सर नी बैठ सक्यौ

तांण सक्यौ बिड़द री बांदरवाल

थारौ रेसमी बागौ पैरतां

म्हांनै बौ आयी

बिरथापण री

छन्दां में छळ री वभरोळ!

थांरी सीख रौ अरथ हौ

चौखी चाकरी

सरूप सुगणी नार

तिजूरी

तांन मुजरौ

मान-सनमान

पदमसिरी

नै नारेळ री धौळी गिरी।

देस में जस

दिसावर में ठांव

धरमसाला मिन्दर पौसाल

रै सांमनै खुदियोडौ नांव

खम्मां चत्तर सुजांन, घणी खम्मां

म्हैं थारै पोठां रै

पळोथण नी लगाय सक्यौ

इण में थांरौ कांई दोख

भींत गैल मांडणा नै पौत गैल रंग

पण म्हारै लारै भीत पौत

अेक काठो करौत

जिको जद-कद चालै

भोपाळां री भँवां में

तिरेड धालै!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकाशन, जयपुर
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