नंई हालै है कोई गाछ रो पत्तो
हवा गुम है
स्सै फळसा मोन है
गळियां री हरकत माथै ताळा है
गतागम में है पूरो गांव डूब्यौड़ौ
सबद रै मुंह पर मकड़ी रा जाळा है।
उदासी रो धुंवो
उठ्ठै है हर घर सूं
लोग दबक्या पड़्या है मौत रै डर स्यूं
इयां लागै है
ज्यूं बस्ती में मातम है।
ओ मातम कुण बपराग्यो
ओ कुण आयो कै घर-घर बांटग्यो आंसू
अै आंसू ही टपकता आंख सूं तो बात ही कोई
रोवण री रीत तो सधती
आंख री जोत तो बघती।
नंई हालै है कोई गाछ रो पत्तो
हवा गुम है।