अंधारै री
खुरड़ी माथै
आयनै
सत्ताईस साल री अेक ग्याभण
गोरड़ी
गांठ रौ भार हळकौ करै
गेरै गूदड़
दिनूगै वठै
गान्हीजी
रा ईन-मीन-तीन बांदरा
बैठ्या मिळै
बुरौ मती देखौ
बुरौ मती सुणौ
नै बुरौ मती बोलौ
चौगिड़दै दडूं कै
रास्टर रै नांव औ सनेस
आंधा आंख्यां में सुरमौ सारण लागै
बोळा कानां में सिरस्यूं रौ निवायौ तैल टपकावै
अर दिरखतां रा छोडा चाबता
सफा गैल-गूंगा
बै’तां रै चीड़ री घूंटी लेयनै
घेटी खोलै
स्यांणफ री अेवज में
अेक टींडसी
पण जिका गळबै में गुलांमी रौ पट्टौ
बांध सकै
वां रै वास्तै दाळ-ढ़ोकळा नै
मिसरी-मावौ
काठ री हांडी में
सीजै
जणमत री राबड़ी नै फांफसिंघजी
फित्तूरमल्लजी जीब सरड़कै
हिचड़गावै जेड़ौ
हेमराज पिंडत वां सारू काढ़ै सिरै म्हौरत
कै जजमांन!
होदै री सपथ
तौ बारा बजियां पछै ई
लेवौ
जोग आछ्यौ है!
नां...म्हैं भाउक कोनी
म्हैं सूरज चंदरमां नै मंगळ
रै पराकम री आस नीं राखूं
म्हैं तौ बाट जोवूं नै जोवूं
भकराळ रावू री
रुळपट केत्तू री
कै भड़मच सन्नी री!
अै तीन तिल्लगां
जद कद आवै
म्हौरतियां नै आडा ढ़ावै
नै जोग रा
आफळा बखेरै!