सो झूठ
पण एक साँच है
मिनख री देह में
आँच ही आँच है।
इण आँच री संजोरी साँच
इण साँच नै संजोणिया
खेत बीजता किसान
सड़क कूटता मजूर
जूती गाँठता मोची
लो कूटता लुवार
अर गळी बुवारती मेतराणियां
पेलड़ै मिनख ऊँ लेर
आज रै मिनख तांई रो
ओटीज़्योड़ी आँच रो
मूंडै बोलतो इतिहास है।
आंच, उकेरता जाओ
देखता जाओ
जठै-कठै
जद-कद
हवा रो फटकारो लाग्यो
इण आँच आपरो आपो दिखायो है।
फ्रांस में
रूस में
चीन में
वियतनाम में
ईं आंच रो ईंधण
न लकड़ी है
न कोयलो
न तेल है
न पेट्रोल
इण आँचनै चायजै
जीवती रेण खातर
खावण ने मिनख
आँचनै घणी संजोरी करणिया
भंवती हवा रा भतूळिया
भभकतै-तपतै भावाँरा
भंडार-अखूट
एक-एक चिणगारी नै ले’र
उडावै, उछाळै
कर देवै चौगुणी
बिखेर देवै
उतराद-दिखणाद
अगूण-आथूंण
ऊपर-नीचै
आसै-पासै
कोई नईं बंचै
न्यावड़ाँ में
काचा-पाक
टूटै-फूटै
घिर धना हाथां में आय
ठीकरी-ठीकरी होय
ठोड़ ठिकाणै लागै
आ आंच
आपरो काम पूरो होयाँ पाछै
सांचनै सामी ल्याण खातर
मिनख नै प्राण देवै
तपा-तपा
सगळां नै
सरीसा कर नाखै
फेर ऊगै
इणी धरती पर
एक सरीसा मिनख
एक सरीसा बिसवास
एक सरीसो समाज।