बिणजारी बस्ती में

खोली आंख

पांखां पसराई

सौदा देखिया

सौदौ

धरती आभै रौ

सार

सौदौ

सन्तोख

बाकी भार

सौदौ

इण काया रौ मूळ

सौदै रौ परताप

थारी कूंख

सौदै रै पैटै

पळियौ पेट

थारी जूंण तौ

सेयर बाजार है मां

जठै

जकौ आवै

फगत

बोली लगावण आवै।

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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