कांई पाछ राखी है थे?

हाल कित्तीक मंगत बाकी है

औरूं—

इण सदी रै मिनख में?

ओजूं कित्ता बरसां लग

पीवता रैवौला इण रौ पसेवौ?

बिना पसवाड़ौ फेर्‌यां

सोखता रैवौला इण रौ खून?

कद तांई दबायां राख सकौला—

मिनख रा न्याऊ हकां नै?

तो बतावौ—

सेवट, कुणसी पीढी नै देवौला

छेलौ पड़ूतर?

कद तांई लुक्योड़ा रैवौला घुरकां में?

है किणीं रै बाबत

थांरी कोई जवाबदारी?

कांई थे

काळजै माथै हाथ राख

कैय सकौ

कै सदी

औरूं राख सकैली थांरी जुबांन माथै

भरोसौ?

सोचौ!

जिण दिन भी

अै तमाम ना-कुछ कणूं का

भेळा व्हेय

पूछैला थां सूं म्यांनौ

थे कठै लग लुकायां राख सकौला

इण मुळकतै मुखौटै लारै

छिप्योड़ौ

थांरौ विडरूप उणियारौ?

थे तो मिनखां रा

सपना सराया करता हा,

फेर म्हारै सपनां सूं

थे बिदकण क्यूं लाग्या;

वौ मुठभेड़ आळौ सपनौ

सुणतां

थांरै चैरै री आब क्यूं ऊतर जावै?

क्यूं ऊतरतौ दीखै

म्हनै थांरी आंख्यां रौ पांणी?

थे बात क्यूं उलट देवौ—

अेकाअेक

बंतळ बिच्चाळै!

थे

म्हारै जलम सूं पैली

अदीठ बंधणां में

कैद कर राख्या हा म्हारा माईतां नै—

खूंखार जंगळी जिनावरां सूं

रुखाळी रै नांवै!

थे कदेई मैसूस कोनीं व्हेण दीयौ

वां नै खुद रै बूकियां रौ जोर

रखवाय ली वां री जुबांन

अर भासा तकात अडांणगत

थांरा खजानां में,

थे डूंडी पिटवाय दी

आखै मुलक में

कै खुल्लौपण बेहद घातक है—

म्हारै मन, मगज

अर काची काया खातर!

थे तो घोळ दीवी ही

वां रै हाथां में जलमघूंट—

कै आदमी हालात रौ दास व्हिया करै

किणीं अदीठ सगती रै हाथ में है

पाणी-मात्र रौ भाग अर भविस

फगत संतोख अेक छेलौ सुख है

आखी मानवी-सृस्टी में!

थे वां रै खून में घोळ दीवी

हौळै-हौळै

थांरी आतमघाती आदतां

कुबद भरियोड़ी घातक मनस्यावां

थे बरसां लग बांटता रैया वां नै

वफादारी रा तमगा

टंटोळता रैया दूखती नाड़ां

दीमकां री अेवज में खरीदता रैया

पंखेरुआं री पांख्यां—सत

थे बणा नांख्या वांनै

सेवट कस-बायरा रास्ट्र-भगत—

थांरा मुंहताज मरजीदांन!

वां आदतां—

वां घातक मनस्यावां

मारफत तो म्हैं

पिछांण पायौ हूं थांरी हुंसियारी

लोकाचारी इरादांळौ

थांरौ असली रूप—

सदी री नूंवी खिमता रै पांण

म्हैं ओळख लीया हूं थांनै

अंधारै री ओट में!

म्हैं आछी तरै जांणूं

थांरी जुबान रै उण आंटै रौ

मांयलौ अरथ

जिण में लोकतंत्र अर समाजवाद

जैड़ा सबद-आखरां रौ नांमी उपयोग व्है!

असल में

जिण तळ माथै ऊभा व्हेय

थे हांकणां चावै हा म्हांनै

वांई टिचकारां

(बतौर सूचना रै

कैवौ, तो अेकर औरूं उथळावूं)

वै तमाम टिचकारा

अब अकारथ व्हे चुक्या है

जांणै-अणजांणै

चौड़ै आयगी थांरी पोल

ऊघड़ग्या थांरी मूरत रा तमाम माळी-पाना

अर थे बेखबर हा

इण नूंवै सांच सूं—

(जिण नै कबूल करतां

हाल भी थांनै तांण आवै!)

इण सदी रै बायरै में

अणगिणत नूंवा रसायन घुळ चुक्या है

असरदार

जिका बदळ सकै

पिरथी रौ भूगोल

भाखरां रा नाक-नक्सा

नदियां रा मारग

अर थांरै हाथां नाकाम व्हियोड़ा

मिनखां रा मगज

जिकां

नूंवौ दमखम दीयौ है

आखी पीढी नै!

तमाम जतनां रै बावजूद

थे काट कोनी सक्या आदमी नै

उण रै इतिहास सूं;

दो विरोधी तत्वां रै द्वंद सूं

उपजता महताऊ नतीजां नै

दाब कोनीं सक्या

थांरा बावना हाथ

अर इणीं सदी रै

किणीं अेकठ विरोध परबारै

अरथहीण व्हेग्यौ

बरसां लग थांरौ आथड़णौ!

आज री घड़ी में

अछांनी कोनी

थां सूं खुद री मौत

थे भी जांणौ कै

छळावां नै बरदास्त करणियां

मिनखां री

जद जुलम रै खिलाफ

तणीजण लागै नाड़ां—

कित्तौ अमूंजौ भर जाया करै

पूरै चौफेर में

बाफ-सी ऊठण लागै

अेका-अेक

गळियां

सड़कां

चौरावं सूं

कित्ता खतरनाक व्हे जाया करै

वै तमाम ऊजड़ ठिकांणा—

निरजण जंगळ अर घाटियां

अंदाजौ है थांनै!

दाटीज जावै थांरी बंदूकां

तोपां री नाळां,

खोटो साबित व्हे जावै सगळौ बारूद

अपूठी फुर जावै थांरी संगीनां

थांरै बांधा सूं झलै कोनीं

इण खेबी खायोड़ै पांणी रौ वेग

लोग थांरै घांटै में

आंगळी घाल काढ सकै

कुद रा हक!

अर म्हनै परतख दीखै

हवाल व्हेणौ है

थांरौ

सेवट

इणीं सदी रै हाथां!

स्रोत
  • पोथी : अंधार-पख ,
  • सिरजक : नन्द भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : जनभासा प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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