थे..
पैल्यां तो राखता
घणी ठूंस नै मरोड़
थारै नांव सूं..
हुवता हिरण बांडा
अन्याव रो
नांव सुणतां पाण
उबळ उठतो थांरो खून
फड़कण लागती थांरी भुजावां
अर आंख्या..
हुज्याजी चुर्रट लाल
थांरो-अेक हुंकारो
लगा देवतो लाय
धूजा देतो..
अन्यायां री पींड्यां
अर बै..
भाग छूटता
पगां तळली नै छोड पगां उभाणा
पण..
लारला कई दिनां सूं
हूं देखूं
थांरै सामूंसाम
कित्तोई हुवै अन्याय
चुं ई नीं करो थें
पग ई नीं ठावो
बैठ्या रैवो बोला-बोला
जांणै थांनै
सूंघग्यो हुवै कोई जैरी
अर
गैलीजेड़ा हुवो अमलियै में
थे तोड़ो
उबासी पर उबासी
दड़ खींच्यां इसी
निठण नींद री
झोळ्यां में
बोता दीसो विसी
कदे
आ बात वा नीं
कै थे बी
सीख लियो हुवै
पून साथै बैवणो
जियां कोई राखै
बयां ई रैवणो
थांरी बी नीत में कीं
आग्यो दीसै फरक
थे बी
पड़ग्या दीसो लसर
थारै बी
करवाणो पड़सी पानो
कीं ताव देणो पड़सी
देखी भाळी बात
चायै मानौ, नी मानो
कीं तो बताओ
गूंगा हो कांई
कुण जैर भर्यो
थांरै हिवड़ै मांईं।