राती हुयोड़ी आंख्यां

पीळो हुळक मूंडो

बखत सूं पैली

काळासी गमायोड़ा

धौळा केस

मांय सू

झाकौ घालती

हरी टांच नाड़्यां

आंख्या नीचे फैल्योड़ो

बैंगणी अमूजो

अर

डोळां रै आसै पासै तिरता

गुलाबी डोरा

ऐड़े गेड़े लैरांवतो

काळमस।

म्हें मानग्यो

सांच कैवे है लोग

के जीवण

सतरंगो इंदरधनख है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : संजय आचार्य 'वरुण' ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
जुड़्योड़ा विसै