आधौ रस्तौ
पार कर लियौ अर आधौ
निगळग्यौ
कै स्यात कोई म्हनै ई
रस्तौ मांन झाल लेवै
उपरांत आपरै पगां सूं म्हांनै
चिगदै
फंफेड़ै
म्हनै अर म्हारै मांय जमियौड़ी खंख नै
उडावै
पण जितरा मिल्या
सिमरथवांन
सै रा सै पांगळा।
उंचाय नीं सक्या वै
आपरा ई
सूक्यौड़ा डांखळा!