हां, तो वो

खाली सपनो हो!

साव सपनो

अबोट अर इचरज भरियोड़ो...

रात रै तीजै पहर में

कीं जणां म्हारै नेड़ै आया

हाथां में चाकू, भाला

अर तलवार सांभ्यां

म्हैं चेताचूक हुयोड़ो

हड़बड़ाटी सूं उठ्यो

उणां रै इसारै मुजब

डरियोड़ो सो चाल्यो

आगै अेक बगीचो हो

मनमोवणों

सफाचट चानणै सूं भरियोड़ो

बठै सफेद कंवळा फूल

टाबरां रै उनमान

मुळकै हा

म्हारै हाथ में

धमादी तलवार

अर बोल्यो अेक जणों

अब करो वार

आज आं फूलां री बारी है

म्हैं कीं

समझ नीं सक्यो

अेक बोल्यो

आं फूलां में खुसबू नी

मीठो रगत है

जकै नै म्हां पीवणो चावां

रगत

धरती री आंतड़्यां रो रगत है

अेकर

म्हारा हाथ कांप्या

पछै कंवळा फुल

तलवार रै झटकै सुं

जमी माथै विखरगा

उणीज बखत

देख्यो च्यारूंमेर

उफणयिड़ो रगत

सोचतो रैयो

फूल री पांखङयां रो रगत

कांई धरती री

आंतड़्यां रो रगत है?

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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