म्हैं अंवेर’र राख्यौ है
थारौ दियोड़ौ
गुलाब।
जद थूं दियौ
म्हैं नीं जांणतौ हो अरथ
उण नै लेवण रौ।
नीं जांणतौ हो म्हैं
के किणी रै ई पांती आ सकै
अणजांण-अचांणच कै कदेई
कोई गुलाब।
अबै थूं
म्हारै अंतस रै आंगणै
गुलाब रै उण फूल साथै जीवै है
अर म्हारै सबदां री नदी मायं
बैवै है उडीक साथै।