नीरज दइया
लेखन,संपादन,अनुवाद अर आलोचना रो गिरबैजोग नांव। साहित्य अकादेमी रो सिरै पुरस्कार अर बाल साहित्य पुरस्कार। वेबपत्रिका 'नेगचार' रा सम्पादक।
लेखन,संपादन,अनुवाद अर आलोचना रो गिरबैजोग नांव। साहित्य अकादेमी रो सिरै पुरस्कार अर बाल साहित्य पुरस्कार। वेबपत्रिका 'नेगचार' रा सम्पादक।
आस : अेक
अंगूठो
अरदास
बीरबल री खीचड़ी है कविता
भर्यो समंदर धूड़ सूं
भासा है संजीवणी
दादी दांई दुनिया
दपूजो
घणी अबखाई है
घर
घर बाबत
कोई काम छूट नीं जावै
मा खातर कविता
मरीचिका
माटी रा ढगळ्या
मायनो चावूं म्हैं
म्हैं उडीकूं कविता
मिरगलां नै घोखो
ना मांगजै इण पेटै कोई हिसाब
ओळख्यां अंधारो
पाछौ कुण आसी...
पोमीजा आपां
रगत रळ्योड़ी भासा
रिस्ता
रूंख रा छोडा
सबदां री नदी मांय
थाळी अर हथाली
थारै गयां पछै
थे ओळखो तो हो कविता नै..?