Anjas
नीरज दइया

नीरज दइया

  • जलम: 1968
  • bikaner

लेखन,संपादन,अनुवाद अर आलोचना रो गिरबैजोग नांव। साहित्य अकादेमी रो सिरै पुरस्कार अर बाल साहित्य पुरस्कार। वेबपत्रिका 'नेगचार' रा सम्पादक।

नीरज दइया रौ परिचय

जन्म: 22 Sep 1968 | रतनगढ़,भारत

आलोचक, कवि, अनुवादक अर संपादक रूप मांय सांवठी ओळख रा धणी मानीता डॉ. नीरज दइया रो जलम 22 सितम्बर, 1968 नै रतनगढ़ (चूरू) राजस्थान मांय हुयो। आपरा जीसा आदरजोग सांवर दइया राजस्थानी भासा रा सिरै आगीवाण अर चावा-ठावा कवि-कहाणीकार-व्यंग्यकार हा, जिण सूं आपनै साहित्य री सीख बाळपणै मांय मिली, जकी आजैलग राजस्थानी साहित्य रै मांय धर कूंचा धर मजलां लगोलग चाल रैयी है। भणाई एम.ए., बी.एड. अर पीएच.डी. तांई करी, पछै पत्रकारिता अर जनसंचार में स्नातक पाठ्यक्रम मांय सोनै रो तगमो पण मिल्यो। अबार आप केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 बीकानेर मांय पी.जी.टी. (हिंदी) रै पद माथै सेवारत।

आपरी रचना आंगळी-सीधराजस्थानी उपन्यास जातरा रो खुलासो करती थकी आज रै उपन्यासां मांय अंकित समाज रै बदळतां हालातां, सपनां, आधुनिकता-बोध नै सबळाई सूं परखै। इणी ढाळ कहाणी विकास जातरा नै पोथी बिना हासलपाईबतावै अर किणी कहाणीकार री कहाणी जातरा नै उण री परंपरा अर आधुनिकता बोध रै अंगणै परखण रा केई सूत्रां रो खुलासो ई करै। आप आलोचक रूप कठैई पूर्वाग्रह नीं राख्यो अर तटस्थ भाव सूं आपरी बात बेबाकी सूं राखण री सांतरी खेचळ करी है। अठै आ बात उल्लेखजोग है कै डॉ. नीरज दइया आपरी दीठ पाठकां सांमी राखै अर विधा रै विकास री पड़ताळ करै। आपरी मनगत ई लेखक घणी ई सावचेती सूं पाठकां सांमी राखी है। कथा-साहित्य रौ आलोचकीय लेखौ-जोखौ इण गत पैलीबार साम्हीं आयौ है। इण सूं लागै कै राजस्थानी कथा-साहित्य रौ फलक घणो मोटो है जिण मांय भारतीय भासावां रै भेळै भांत-भांत रौ कथ्य, बुणगट अर अठै री जीयाजूण री जूझ रै लेखै-जोखै री सांतरी अंवेर राखीजी है। आलोचना सूं आप राजस्थानी कथा-साहित्य री सबळता नै उजागर कर जसजोग काम करियो है। आपरी साहित्य जातरा राजस्थानी अर हिंदी मांय लारलै च्यार दसकां सूं लगोलग चाल रैयी है जिण मांय आप कैई विधावां मांय लेखन करण री सांतरी जातरा करी है।

आपरी छप्योड़ी खास पोथ्यां- साख’, ‘देसूंटो’, ‘पाछो कुण आसीकविता-संग्रै, ‘मंडाण’ (युवा कवियां री कवितावां रो संपादन), आलोचना विधा रै मांय- आलोचना रै आंगणै’, ‘बिना हासलपाईअर आंगळी-सीध। लघुकथा-संग्रै भोर सूं आथण ताईं। बालकथा-संग्रै जादू रो पेनसाथै राजस्थानी में अनुवाद रै रूप  निर्मल वर्मा अर ओम गोस्वामी रै कहाणी संग्रै; भोलाभाई पटेल रै जातरा-संस्मरण; अमृता प्रीतम, सुधीर सक्सेना, नंदकिशोर आचार्य, संजीव कुमार अर जयप्रकाश मानस री चयनित कवितावां रा संचयन-अनुवाद अर सबद नाद’ (भारतीय भासावां री  कवितावां रो संग्रै) आद जसजोग पोथ्यां मानीजै। आप राजस्थानी कहाणियां अर कवितावां नै हिंदी रै आंगणै लेय जावण मांय मेहतावूं काम ‘101 राजस्थानी कहानियां’, ‘रेत में नहाया है मन’ ‘राजस्थानी प्रेम कविताएंअर राजस्थानी प्रेम कहाणियांरै मारफत करियो। सांवर दइया री चयनित राजस्थानी कविताएंपोथी ई चावी रैयी। आपरी कवितावां रै हिंदी अर अंग्रेजी अनुवाद री पोथ्यां प्रकाशित। आप राजस्थानी री चावी नेगचारपत्रिका रो संपादन पण करो अर आपरी रचनावां देस अर विदेस री नामी गिरामी पत्र-पत्रिकावां मांय लगोलग छपती रैवै।

आपनै मिल्या सम्मान अर पुरस्कार- साहित्य अकादेमी नई दिल्ली रो राजस्थानी भासा रो मुख्य पुरस्कार अर बाल साहित्य पुरस्कार, राजस्थानी भासा, साहित्य एवं सस्कृति अकादेमी, बीकानेर सूं बापजी चतुरसिंहजी अनुवाद पुरस्कारआद मिल्योड़ा है अर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर री राजस्थानी पाठ्यक्रम विषय-समिति रा पूर्व-संयोजक। राजस्थानी भासा, साहित्य एवं सस्कृति अकादेमी, बीकानेर री कार्यकारणी अर सामान्य सभा रा सदस्य रैया। कविता कोशराजस्थानी विभाग रा पूर्व सहायक सम्पादक। समन्वयक रै रूप मांय राजस्थानी भासा साहित्य संस्कृति विभाग, हिन्दुस्तानी भासा अकादमी, दिल्ली आद मांय आपनै माण सम्मान मिल्या है।