आँसुवां मिस

नेह

मेह-सो, बरस्यो

मन

रेत-रेत

तपतो तरस्यो

कळ-कळ कर

बगती प्राण-नदी रैई।

प्राण-नदी

रीत-रीत

रीत्यो

समदर स्सौ।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली पत्रिका ,
  • सिरजक : मोहन आलोक ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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