बळती लूआं ढलै पसीनौ, आंख्यां में आंधी रौ काजळ

पग उरबांणा तीखी सूळां, सूड़ करै कांटां री कांझळ

सुगनां जोग लाज री चिंदी, डील उघाड़ौ नागी साथळ

पूठ तड़ातड़ झेलै बिरखा, आभै चमकै बीज पळापळ

ठंडी रैण पड़ै धर पाळौ, पांणत में पांणतियौ जागै

पाकै पूंख लोई री बूंदा, अणमाप धांन रौ ढिग लागै

पण लाटै मौत जीव रौ लाटौ, बैरण भूख रत्ती नीं भागै

घणौ लाडलौ पूत सवायौ, घर रौ दीप बुझे घर आगै

कोई भरी ताल रै अेड़ै-छेड़ै

मरै मिनख रौ लाल दुलारौ!

जद तूटै अम्बर सूं तारौ!

इज्जत सूं हाय मिळै नीं वांनै, रोटी रा टुकड़ा खावण नै

जीवण री बातां है झूठी, जद किस्मत कै मर जावण नै

कोठै चढ़ बेटी सज बैठी, मां नीचै भाव बतावण नै

झांझर री झीणी झणकारां, वा लागी लाज लुकावण नै

घूमर रा घमकै घूघरिया, वा लागी मन बिलमावण नै

टीकी रा फीका कूं कूं में, वा लागी भाग सजावण नै

पावण नै चांदी रा टुकड़ा, वा लागी नाचण-गावण नै

वा लागी प्रीत लुभावण नै, वा हंसी बिना मुस्कावण नै

पइसा रौ पल्लौ धणी बिछायौ

बाप बजायौ इकतारौ

जद तूटै अम्बर सूं तारौ!

स्रोत
  • पोथी : चेत मांनखा ,
  • सिरजक : रेवंतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : कोमल कोठारी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
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