घणौ फरक है श्रीमान
आपरै अर म्हारै
अेक रिपियौ खरच करण में।
आप भार हळकौ करौ
म्हारै रिपियौ भारी पड़ जावै।
फरक पड़ै चीजां नै
अेक निजर देखण में।
पुसप री सुगंध लियां पछै ई
आप पुसप रै बारै व्हौ
अर म्हैं मांयनै
आघा रैय'र ई
दूजां रै निजू में
सैंध मारता व्हौ
अेक सरीर
कित्ता घरां माथै पसार’र रैवौ।
हरेक जरूत
आपरी मुट्ठी में बंद व्है
म्हारी व्हौ के आपरी
हरेक चीज
जांणै व्है आपरै बाप री।
स्याही बिखेरता उचपळा टाबर ज्यूं
दुनिया रै गोळै माथै आप
बिखेरता रैवो खून अर म्हैं
म्हारी फाटोड़ी कमीज सूं
उणनै पूंछतौ रैवूं।
बडौ फरक है श्रीमान
आपरै अर म्हारै
सोचणै-समझणै अर
बोलणै-बतळावणै में।
क्यूं, क्यूं आपरी भासा
हरेक बगत गाळी रौ अरथ देवै?
म्हारी भासा अरथ सेवै!
सौख व्है आपरौ सोच
म्हारै सोच में फिकर भेळौ रैवै,
आपरै समझण नै कीं नीं रैयौ
म्हैं आपनै समझ रैयौ हूं,
थाक्या ई नीं आप
बेवजै बोलणै सूं
म्हारी बोलण री वारी ई नीं आई।
आप चीजां नै
लगातार बेकार कर रैया हौ
म्हारी हद सूं
घणी बारै कर रैया हौ।
आप अबै बिसांईं खावौ
चुप व्है जावौ!
अबै म्हैं बोलूंला
अर आप सुणौला
म्हैं करूंला
जिकी आप देखोला
घणा दिन याद राखोला!
देखणौ अर समझणौ
बोलणौ अर बतळावणौ
तोड़णौ अर घड़णौ
सहेजणौ अर संवारणौ
जीवण री अेक कला है श्रीमान
जिकी आपनै अजै सीखणी है
अर म्हैं आपनै सिखावूंला।
घणौ फरक है
आप में अर म्हारै में।