मां आखै घर में
काढ दियौ झाड़ू
फाटेड़ी निवार वाळौ मांचौ
ढाळ दियौ छात माथै
आंगणै में सूखता
गाभा समेट'र धर दिया
मोटौड़ै बगसै में
टाबरां रा पट्टा बाय'र
काजळ पण घाल दियौ
दिनूगै पैली।
जरूरी है सगळा जतन
बटाऊ बावड़ैला आज घरां—
मायड़ सावचेत है।
पाळै गुवाड़ी रौ धरम
फूटरापौ दिखाणै वेगी
कांण-कसर ढाब देवणी
मुळकता उणियारै ओटै।