नीं! अबकै म्हैं गांव नी जाऊंला
जदकै
औ सगळी पगडांड्यां
म्हारै गांव कांनी जावै।
अंधारौ गदगदीजै
अर आं पगडांड्यां सू व्हैय'र
भैरू गांव लग आवै
रात भर अलख जगावै
भूतां रौ डर छोड़
म्हारा भाई सुख री नींद लेवै
औ सुख भी तो अेक डांडी है
जिण माथै व्हैय’र
कितराई 'भरम' आवै
पण आजकाल
चौपाळ री हथाई में
भरम पर भैरू री ठौड़
'राजनीत' पर 'मिनिस्टर' ले लीनी
रात नै आग तापता लोगां रै बिच्चै
गांव रौ पंडो
फूट अर दंगै री बातां करै!
म्हारै देखतां-देखता
अर आग रै बुझतां-बुझतां
कूकरिया समेत
गांव रा सगळा कुत्ता रोवण ढूकै
मातम रै अैड़ै माहौल में
अबै म्हैं कदैई गांव नी जाऊंला।