इण ‘कन्फेशन-बॉक्स’ में ऊभ

म्हैं जिकौ कीं कैवूंला

म्हारी वाचा में व्हैला तद

चैचाटती चिड़कल्यां जैड़ा

कूड़ रा सूगलवाड़ा सूं अळगा

निपट सचवाया निरमळ, नैन्हा-नैन्हा

अबोट सळिया बोल

फूंदी ज्यूं उडता

पण धूजता उतरता पुहपां माथै हवळैसीक

जांणै कोई रुंख काढतौ व्है नवी काची-कचवायी कूंपळ

सावळ लेय उछेरजै वांनै

म्हैं कैय-काय बूहौ जावूंला

कनला खोखा में ‘फादर’ री ठौड़ ऊभी अवचळ थूं

झालज्यै वांनै

जांणै अणउघड़ी आंख्यां वाळा कूकरिया झालै

मां रा थन

जांणै कोई गूंटौ कंवळी जड़ां सूं अपड़ै जमीं

जाबता सूं सावर सगळा नै

वांरा माथा पंपोळती परसज्यै वांनै

थारा कूखजाया नीं तौ कांई व्हियौ

म्हारा मुखजाया तौ छै

पछै सावळ रूं-रूं में बावज्यै वांनै

म्हैं कैय-काय बूहौ जावूंला

नीं दोनूं खोखा कोनीं जोड़ाजोड़ चरच जैडा

बिचाळै जाळी कोनीं

नीं म्हैं बैठौ गोडी ढाळ

नीं थूं फादर री ठौड़ म्हारै कांनी कांन कर ऊभी छै

दोनूं अपां ‘एसटीड़ी पीसीओ’ रै खोखां रोड़िज्योड़ा

फोन रा चोगा लियां ऊभा छां

इणसूं कांई फरक पड़ै

पछै म्है किसौ भगवान री कचैड़ी न्याव जैड़ौ कोई पाप कर्‌यौ

उणरा किणी पवीत कायदा में भंज नीं पाड़ी

उणरै मारग नीं हालियौ ऊजड़ कदैई

जूंण नै किनका सूं बांध्यां रह्यौ डोर सूं

सचळियौ-सचळियौ उड्यौ

नीं पेच लड़ाया नीं कोई रौ किनकौ बाढ्यौ

आपरै मन रै कोथळियै घालज्यै वांनै

म्हैं कैय काय बूहौ जावूंला

थारौ गुनैगार छूं

के थनै थारी दवायती बिना सोची

थारै परबारै थारी छीयां सूं प्रीत करी

कदैई धूजतै मनां परसी

थारी ओळूं-देही

सपना में, सोच में

नींद में, जागतां

ऊठतां-बैठतां

वेळां-कुवेळां

थूं आपरी देही ने झाटक लेज्यै

म्हैं रंजी ज्यूं उड-उडाय बूहौ जावूंला

स्रोत
  • पोथी : हिरणा! मूंन साध वन चरणा ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकास देवल ,
  • प्रकाशक : कवि प्रकासण, बीकानेर
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